भारत के लिए लिज ट्रस का चुना जाना क्या सुखद संदेश नहीं है? कैसे रहेंगे भारत से रिश्ते !

 

लिज ट्रेस के पीएम बनने के ऐलान के साथ ही भारतीयों के मन में सवाल है कि आखिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बदलने से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर कितना असर पड़ेगा.


लिज ट्रस ब्रिटेन की अगली प्रधानमंत्री होंगी. उन्होंने कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुनने की प्रक्रिया में लिज ट्रस ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराकर पीएम की सीट पर कब्जा किया है. लिज ट्रेस के प्रधानमंत्री पद के लिए चयनित होने के कुछ देर बाद ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है. वहीं, लिज ट्रेस के पीएम बनने के ऐलान के साथ ही भारतीयों के मन में सवाल है कि आखिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बदलने से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर कितना असर पड़ेगा. दरअसल, बॉरिस जॉनसन के शासन में भारत-ब्रिटेन के रिश्ते काफी अच्छे रहे थे और अब सवाल है कि क्या ये रिश्तें वैसे ही कायम रह पाएंगे?

लिज ट्रस के पीएम बनने के ऐलान के बाद कई जानकारों का कहना है कि लिज ट्रस भारत-ब्रिटेन के अच्छे रिश्तों को और मजबूती देंगी. लेकिन, यह भी माना जा रहा है कि कुछ मायनों में लिज ट्रस का पीएम चुना जाना भारत के लिए सुखद संदेश नहीं है. ऐसे में जानते हैं कि भारत-ब्रिटेन के रिश्तों पर अब क्या असर होगा?

क्या ऋषि सुनक के जीतने से फायदा होता?

कई लोगों का मानना है कि अगर भारतीय मूल के ऋषि सुनक पीएम बनते तो भारतीय एंगल की वजह से भारत को काफी फायदा होता. तो आपको बता दें कि भारत-ब्रिटेन संबंधों पर ऋषि सुनक की हार से कुछ खास असर नहीं पड़ा है और ना ही उनके जीतने पर कुछ असर देखने को मिलता. दरअसल, ऋषि सुनक भारतीय मूल के जरूर हैं, लेकिन वे पूरी तरह से ब्रिटिश नागरिक हैं. उनकी प्राथमिकता भारत से कहीं ज्यादा ब्रिटेन को लेकर है.

क्या बॉरिस जॉनसन के रिश्तों को आगे बढ़ाएंगी?

बता दें कि बोरिस जानसन के समय में दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाई पर पहुंचे थे. भारत और ब्रिटेन के बीच कई समझौते हुए थे, लेकिन अब सवाल है कि लिज ट्रस उन रिश्तों और जो पहल की गई हैं, उन्हें कितना आगे लेकर जाती है. हाल ही में जब लिज भारत की यात्रा पर आई थीं तो उस वक्त यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध तेज हो चुका था. अपनी इस यात्रा के दौरान लिज ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने का संदेश दिया था. युद्ध के बाद उनका मानना था कि भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में मजबूती अब पहले से ज्यादा अहम हो गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि आगे भी भारत-ब्रिटेन के रिश्ते मजबूत रह सकते हैं.

रूस के मामले में भारत से रही है नोंक झोंक?

यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान जब रूस के तेल खरीदने पर बात हुई तो उस वक्त विदेश मंत्री जयशंकर ने लिज ट्रस को फटकार लगाई थी. कुछ महीने पहले इंडिया-यूके स्ट्रैटिजिक फ्यूचर्स फोरम’ में जब रूस से तेल खरीदने को लेकर बात हुई थी तो ट्रस ने कहा था, ‘मैंने प्रतिबंधों पर यूके का रुख बता दिया है. तथ्य यह है कि हम इस साल के आखिर तक रूसी तेल पर अपनी निर्भरता खत्म कर रहे हैं. भारत एक संप्रभु देश है. मैं भारत को नहीं बताऊंगी कि उसे क्या करना चाहिए.’ इसके बाद जयशंकर ने लिज ट्रस को जमकर सुनाया था.

फिर जयशंकर ने कहा कि मार्च में यूरोप ने रूस से फरवरी के मुकाबले 15 प्रतिशत ज्यादा तेल खरीदा है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आप रूस के तेल और गैस के प्रमुख खरीददारों पर नजर डालें तो आप पाएंगे कि ज्यादातर यूरोप में हैं. इसके बाद से लिज ट्रस को दोहरी रणनीति के लिए भी जाना जाता है, ऐसे में कई मामलों को लेकर माना जा रहा है ट्रस की वजह से भारत-ब्रिटेन के रिश्तों पर असर पड़ सकता है.

इसके साथ ही भारत रूस का समर्थक रहा है और रूस का मानना है कि ट्रस के आने से रूस और ब्रिटेन के रिश्ते और खराब हो जाएंगे. ऐसे में रूस को लेकर भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में असर देखने को मिल सकता है.

एफटीए पर क्या होगा?

भारत-ब्रिटेन रिश्तों में मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) सबसे अहम कड़ी है. अब देखना है कि एफटीए पर लिज ट्रस का क्या रुख रहता है और किस तरह से वो इसे आगे बढ़ाती हैं. हालांकि, पीएम के चयन से पहले वो भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबारी रिश्ते की जोरदार समर्थक रही हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि व्यापार सौदा जितना संभव हो उतना गहरा हो जिसमें जीवन विज्ञान से लेकर प्रौद्योगिकी तक कृषि तक सब कुछ शामिल हो.

भारतीयों को माना है अहम

वैसे पीएम चुने जाने से पहले कई मौकों पर लिज ट्रस ने भारत को लेकर पॉजिटिव बयान ही दिए हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि मेरे दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि दुनिया में सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोग भारत में हैं. साथ ही उन्होंने वीजा प्रणाली पर गौर करने के लिए कहा था ताकि ज्यादा लोग ब्रिटेन की ओर से आकर्षित हो. रूस को लेकर उन्होंने कहा था कि अभी मौका भारत से संबंध बढ़ाने का अच्छा मौका है.

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